प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान, 'आईआईटीयन बाबा' के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह को जूना अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। अभय सिंह, जिन्होंने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, पर अपने गुरु महंत सोमेश्वर पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा का उपयोग करने का आरोप है। इस अनुशासनहीनता के कारण, जूना अखाड़े की अनुशासन समिति ने उन्हें अखाड़े के शिविर और परिसर से बाहर कर दिया है।
जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि अभय सिंह साधु नहीं बने थे, बल्कि लखनऊ से यहां आकर स्वयं को साधु के रूप में प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने अपने गुरु के प्रति असम्मानजनक भाषा का प्रयोग किया, जो गुरु-शिष्य परंपरा और संन्यास के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसलिए, अखाड़े की अनुशासन समिति ने उन्हें निष्कासित करने का निर्णय लिया।
अभय सिंह ने अपने एक वीडियो में बताया था कि उन्होंने आईआईटी मुंबई से पढ़ाई करने के बाद एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में नौकरी की, जिसे छोड़कर वे संन्यास के मार्ग पर चले आए। उनके इस निर्णय के पीछे माता-पिता के बीच के झगड़े और पारिवारिक तनाव को कारण बताया गया है। हालांकि, उनके गुरु और माता-पिता के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों के कारण संत समाज में उनके प्रति आक्रोश उत्पन्न हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अखाड़े से निष्कासित किया गया।
जूना अखाड़े के प्रमुख संत हरि गिरि महाराज ने कहा कि गुरु और माता-पिता का सम्मान करना अखाड़े के सिद्धांतों का हिस्सा है। अभय सिंह ने इन सिद्धांतों का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें निष्कासित किया गया। गुरु-शिष्य परंपरा का उल्लंघन और अनुशासनहीनता के कारण यह कठोर कदम उठाना पड़ा।
इस घटना ने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं और संत समाज के बीच चर्चा का विषय बना दिया है। अभय सिंह के परिवार ने भी उनसे घर लौटने की अपील की है, लेकिन अभय सिंह ने अपने माता-पिता से नाता तोड़ लिया है और उनके नंबर ब्लॉक कर दिए हैं। यह मामला गुरु-शिष्य परंपरा और संन्यास के मार्ग पर चलने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि अनुशासन और सम्मान सर्वोपरि
हैं।