हमारे पास कई तरह की रोशनी के स्रोत होते हैं, जैसे बल्ब, टॉर्च, और सूरज की रोशनी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या एक लेजर लाइट चाँद तक पहुँच सकती है? इस लेख में हम इस सवाल का आसान भाषा में जवाब जानेंगे और समझेंगे कि यह कैसे संभव होता है।
लेजर लाइट एक खास तरह की रोशनी होती है जो बहुत केंद्रित होती है और सीधी रेखा में चलती है। आमतौर पर, टॉर्च या बल्ब की रोशनी चारों तरफ फैलती है, लेकिन लेजर लाइट एक ही दिशा में बिना ज्यादा फैलाव के आगे बढ़ती है।
हाँ, लेजर लाइट चाँद तक पहुँच सकती है, लेकिन इसके लिए बहुत तेज़ और शक्तिशाली लेजर की जरूरत होती है।
चाँद पृथ्वी से करीब 3,84,400 किलोमीटर दूर है। इतनी दूरी तक किसी रोशनी को बिना बिखरे पहुँचना मुश्किल होता है, लेकिन लेजर लाइट में यह क्षमता होती है।
वैज्ञानिक कई बार पृथ्वी से चाँद तक लेजर लाइट भेज चुके हैं। 1969 में नासा के अपोलो मिशन के दौरान वैज्ञानिकों ने चाँद पर खास तरह के दर्पण (रेट्रो-रिफ्लेक्टर) लगाए थे। ये दर्पण पृथ्वी से भेजी गई लेजर लाइट को वापस भेज सकते हैं। आज भी वैज्ञानिक इन्हीं दर्पणों की मदद से चाँद की दूरी मापते हैं।
नासा ने अपोलो 11, अपोलो 14, और अपोलो 15 मिशनों में चाँद पर दर्पण लगाए थे, ताकि पृथ्वी से भेजी गई लेजर बीम को वापस भेजा जा सके।
वैज्ञानिकों ने कई वेधशालाओं (ऑब्जर्वेटरी) से चाँद पर लेजर बीम भेजी और वापस लौटने में लगने वाले समय को मापा। इससे हमें चाँद की सटीक दूरी और उसकी गति के बारे में पता चला।
प्रकाश बहुत तेज़ चलता है – करीब 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड। इसका मतलब है कि लेजर लाइट चाँद तक सिर्फ 1.28 सेकंड में पहुँच सकती है और लौटने में भी उतना ही समय लगता है।
जब लेजर लाइट पृथ्वी के वायुमंडल (एटमॉस्फियर) से गुजरती है, तो वह थोड़ा बिखर सकती है। इसलिए वैज्ञानिक बहुत शक्तिशाली और केंद्रित लेजर का इस्तेमाल करते हैं, ताकि यह बिना ज्यादा फैलाव के चाँद तक पहुँच सके।
लेजर लाइट जब चाँद की सतह पर टकराती है, तो उसका बहुत छोटा हिस्सा ही पृथ्वी पर वापस आता है। इसलिए वैज्ञानिक बहुत संवेदनशील उपकरणों का उपयोग करते हैं, ताकि वे इस हल्की रोशनी को भी पकड़ सकें।
जो लेजर लाइट हम बाज़ार से खरीदते हैं, वे बहुत कमज़ोर होती हैं (1 mW - 5 mW)। ये चाँद तक नहीं पहुँच सकतीं क्योंकि:
चाँद तक लेजर लाइट भेजने के लिए मेगावाट (MW) स्तर की ऊर्जा की जरूरत होती है, जो केवल वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं और वेधशालाओं में उपलब्ध होती है।
इस लेख में हमने जाना कि लेजर लाइट चाँद तक पहुँच सकती है, लेकिन इसके लिए बहुत ताकतवर और केंद्रित लेजर लाइट की जरूरत होती है। वैज्ञानिक इस तकनीक का इस्तेमाल करके चाँद की दूरी मापते हैं और अंतरिक्ष के कई रहस्यों को हल करने में मदद लेते हैं।
हालाँकि, साधारण लोगों के लिए बाज़ार में मिलने वाली लेजर लाइट से चाँद तक रोशनी भेजना संभव नहीं है। लेकिन विज्ञान और तकनीक के विकास से आने वाले समय में शायद और नई खोजें हों, जिससे अंतरिक्ष में लेजर तकनीक का और बेहतर उपयोग किया जा सके।