आपने कभी ध्यान दिया होगा कि लगभग सभी जहाजों के नीचे का हिस्सा लाल रंग का होता है। क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? यह सिर्फ दिखने के लिए नहीं, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक और तकनीकी कारण होते हैं। इस लेख में हम आसान भाषा में जानेंगे कि जहाजों के निचले हिस्से को लाल रंग में ही क्यों रंगा जाता है।
बहुत पहले जब लकड़ी के जहाज बनाए जाते थे, तब समुद्र के पानी से वे जल्दी खराब हो जाते थे। साथ ही, जहाज के नीचे शैवाल, बार्नेकल (Barnacles) और छोटे समुद्री जीव चिपक जाते थे। इससे जहाज की चाल धीमी हो जाती थी और ईंधन ज्यादा खर्च होता था।
समस्या को हल करने के लिए जहाजों के निचले हिस्से पर कॉपर ऑक्साइड (Copper Oxide) वाला पेंट लगाया जाने लगा। यह समुद्री जीवों को दूर रखता था और जहाज को खराब होने से बचाता था। यह पेंट लाल रंग का होता था, इसलिए जहाजों के निचले हिस्से को लाल रंग में रंगने की परंपरा शुरू हुई।
समुद्र के पानी में जहाज के नीचे काई, शैवाल और छोटे-छोटे समुद्री जीव चिपक जाते हैं। इससे:
लाल रंग के पेंट में ऐसे रसायन होते हैं जो इन जीवों को जहाज से चिपकने नहीं देते। इससे जहाज तेज चलता है और ईंधन की बचत होती है।
समुद्र के खारे पानी में जहाज की धातु जल्दी खराब हो सकती है। लाल रंग का पेंट एंटी-करॉसिव (Anti-corrosive) होता है, जो जहाज को जंग से बचाता है और उसे ज्यादा दिनों तक ठीक रखता है।
जब जहाज के तल पर गंदगी या समुद्री जीव चिपक जाते हैं, तो पानी में उसका घर्षण बढ़ जाता है। इससे इंजन को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और ईंधन ज्यादा खर्च होता है। लाल पेंट के कारण यह समस्या कम होती है और जहाज तेज चलता है।
आजकल जहाजों के निचले हिस्से को नीले, काले, हरे या ग्रे रंग में भी रंगा जाता है, लेकिन लाल रंग सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है क्योंकि यह सबसे प्रभावी साबित हुआ है।
जहाजों के निचले हिस्से को लाल रंग में रंगने का कारण सिर्फ सुंदरता नहीं, बल्कि तकनीकी और वैज्ञानिक जरूरतें हैं।
भले ही अब अन्य रंगों का भी इस्तेमाल होने लगा है, लेकिन लाल रंग की उपयोगिता बनी हुई है और आने वाले समय में भी इसका महत्व बना रहेगा।
Writer by,
Aman Pandey