हिंदू धर्म में जब कोई छोटा बच्चा मर जाता है तो उसका दाह संस्कार करने के बजाय उसे क्यों दफनाते है

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Mindfresh News February 25, 2025 06:40 PMब्लॉग

हिंदू धर्म में छोटे बच्चे के निधन पर दफनाने की परंपरा:

हिंदू धर्म में मृत्यु को एक बदलाव के रूप में देखा जाता है, न कि जीवन का अंत। जब कोई वयस्क व्यक्ति मरता है, तो उसका अंतिम संस्कार (दाह संस्कार) किया जाता है, यानी उसे जलाकर उसकी राख को नदी या किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित किया जाता है। लेकिन जब कोई छोटा बच्चा मरता है, तो उसे जलाने के बजाय ज़मीन में दफनाया जाता है।

इस परंपरा के पीछे कई धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारण हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि हिंदू धर्म में छोटे बच्चों को जलाने के बजाय दफनाने की परंपरा क्यों है और इसके पीछे कौन-कौन से तर्क दिए जाते हैं।


1. हिंदू धर्म में मृत्यु और पुनर्जन्म की मान्यताएँ

1.1 मृत्यु का अर्थ

हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि शरीर नश्वर (जिसे एक न एक दिन नष्ट होना ही है) होता है, लेकिन आत्मा अमर (कभी न मरने वाली) होती है। जब कोई व्यक्ति मरता है, तो उसकी आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण करने के लिए आगे बढ़ती है। इसे ही "पुनर्जन्म" कहा जाता है।

1.2 क्यों किया जाता है दाह संस्कार?

जब कोई वयस्क व्यक्ति मरता है, तो उसका दाह संस्कार इसलिए किया जाता है ताकि उसकी आत्मा जल्दी से मुक्त हो जाए और अपने अगले जन्म की यात्रा पर निकल सके। अग्नि शरीर को तुरंत पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) में बदल देती है।

लेकिन छोटे बच्चों के मामले में यह नियम अलग होता है।


2. छोटे बच्चों को जलाने के बजाय दफनाने की परंपरा

2.1 छोटे बच्चे पवित्र होते हैं

हिंदू धर्म के अनुसार, छोटे बच्चे पाप और पुण्य से परे होते हैं। वे अभी तक जीवन में कोई बड़ा कर्म (अच्छा या बुरा) नहीं कर पाए होते, इसलिए उन्हें दाह संस्कार की आवश्यकता नहीं होती।

2.2 अधूरे जीवन की अवधारणा

यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा जी चुका हो और फिर उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसे जलाना उचित माना जाता है। लेकिन यदि कोई बच्चा बहुत छोटी उम्र में मर जाता है, तो यह माना जाता है कि उसकी आत्मा को जलाने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि उसने अभी तक संसारिक जीवन में पूरी तरह प्रवेश नहीं किया था।

2.3 पंचतत्वों में विलीन होने की प्रक्रिया

अग्नि का काम है शरीर को जल्द से जल्द पंचतत्वों में बदल देना, लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह प्रक्रिया धीरे-धीरे भी हो सकती है। इसलिए उन्हें ज़मीन में दफनाकर प्रकृति को ही उनके शरीर को पंचतत्वों में बदलने का मौका दिया जाता है।

2.4 आत्मा को कष्ट न देना

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता है, तो उसकी आत्मा को अग्नि के माध्यम से एक नई यात्रा पर भेजा जाता है। लेकिन छोटे बच्चों की आत्मा को इतना झटका देने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि वे पहले से ही पवित्र होते हैं। इसलिए उन्हें शांति से ज़मीन में सुला दिया जाता है।


3. धार्मिक ग्रंथों में दफनाने का उल्लेख

3.1 गरुड़ पुराण में क्या लिखा है?

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और अंतिम संस्कार की विधियों का वर्णन मिलता है। इसमें बताया गया है कि –

  1. यदि कोई बच्चा बहुत कम उम्र में मर जाए, तो उसे जलाने की आवश्यकता नहीं होती।
  2. छोटे बच्चों को धरती माता को सौंप देना चाहिए, यानी उन्हें दफना देना चाहिए।

3.2 मनुस्मृति में क्या कहा गया है?

मनुस्मृति, जो हिंदू धर्म के सबसे पुराने नियमों में से एक है, उसमें भी यही लिखा गया है कि छोटे बच्चों को दफनाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि वे अभी तक सांसारिक जीवन का हिस्सा नहीं बने थे।


4. क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विविधताएँ

4.1 उत्तर भारत में क्या होता है?

उत्तर भारत में यह परंपरा अधिकतर हिंदू परिवारों में देखने को मिलती है। छोटे बच्चों को नदी के किनारे या किसी पवित्र स्थान पर दफनाया जाता है।

4.2 दक्षिण भारत में क्या होता है?

दक्षिण भारत में कुछ परिवार बच्चों को मंदिरों के पास दफनाते हैं, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और वह ईश्वर के करीब रहे।

4.3 आदिवासी और ग्रामीण परंपराएँ

कई आदिवासी और ग्रामीण समाजों में भी छोटे बच्चों को जलाने के बजाय दफनाने की प्रथा देखने को मिलती है।


5. आधुनिक समाज में बदलते विचार

5.1 क्या आज भी यह परंपरा निभाई जाती है?

आज भी भारत में अधिकतर हिंदू परिवार इस परंपरा का पालन करते हैं। हालांकि, कुछ लोग अब अपने बच्चों का दाह संस्कार भी करवाने लगे हैं।

5.2 विज्ञान क्या कहता है?

वैज्ञानिकों के अनुसार, दफनाने और जलाने दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं।

  • जलाने से शरीर जल्दी खत्म हो जाता है और वातावरण में मिल जाता है।
  • दफनाने से शरीर धीरे-धीरे मिट्टी में मिल जाता है और प्राकृतिक प्रक्रिया के तहत खत्म हो जाता है।

कुछ लोग पर्यावरणीय कारणों से भी दफनाने को बेहतर मानते हैं।

हिंदू धर्म में छोटे बच्चों को जलाने के बजाय दफनाने की परंपरा का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक आधार है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि –

  1. छोटे बच्चे निष्पाप होते हैं।
  2. वे अभी तक पूर्ण रूप से सांसारिक जीवन में नहीं आए होते।
  3. उनकी आत्मा को कष्ट न देकर उसे शांति से आगे बढ़ने दिया जाता है।

हालांकि, आधुनिक समाज में कुछ लोग इस परंपरा में बदलाव ला रहे हैं, लेकिन इसकी धार्मिक मान्यताएँ अभी भी बहुत मजबूत हैं।

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