मुंबई IITian बाबा अभय सिंह साधु कैसे बने?

VIEWS - 210
Mindfresh News January 23, 2025 07:17 AMदेश

मुंबई IITian बाबा अभय सिंह साधु कैसे बने?

 

यह कहानी है अभय सिंह की, जो कभी मुंबई IIT से पढ़े हुए एक होनहार इंजीनियर थे। उनकी जिंदगी का सफर एक आदर्श जीवन का प्रतीक था—प्रतिभाशाली, मेहनती, और समाज में सफलता का मानक। लेकिन जो चीज़ बाहर से एकदम परफेक्ट लगती थी, वही अंदर से अधूरी थी।

 

कॉर्पोरेट की दौड़ और खालीपन का एहसास

 

IIT मुंबई से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, अभय सिंह ने एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी कर ली। वे अपनी मेहनत और लगन से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। उनकी लाइफस्टाइल, गाड़ी, और वेतन देखकर हर कोई उनसे प्रभावित था। लेकिन इस बाहरी चमक-धमक के बीच, अभय को अपने अंदर एक खालीपन का एहसास होने लगा।

 

दुनिया की हर चीज़ उनके पास थी, लेकिन मन का सुकून कहीं खो गया था। दिन-रात की भागदौड़, प्रोजेक्ट्स का दबाव, और भौतिक इच्छाओं को पूरा करने की होड़ ने उनके जीवन से शांति छीन ली।

 

एक साधु से मुलाकात

 

एक दिन, अभय सिंह काम के सिलसिले में ऋषिकेश गए। वहां गंगा के किनारे टहलते हुए उनकी मुलाकात एक साधु से हुई। साधु ने उनसे पूछा, "पुत्र, क्या तुम खुश हो?" यह सवाल अभय को झकझोर गया। उन्होंने महसूस किया कि उनके पास सबकुछ होते हुए भी वे वास्तव में खुश नहीं थे।

 

साधु ने कहा, "तुम्हारे जैसे पढ़े-लिखे लोग भी उस सच्चाई को नहीं समझते, जो हमारी आत्मा के भीतर छिपी है। भौतिक सुख सिर्फ दिखावा है। असली सुख त्याग और आत्मज्ञान में है।"

 

महाकुंभ का सफर और साधु बनने का फैसला

 

कुछ समय बाद, अभय सिंह महाकुंभ में गए। वहां उन्होंने लाखों साधुओं को देखा, जो त्याग, तपस्या और ध्यान में लीन थे। यह दृश्य उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया। उन्होंने सोचा, "मैंने अब तक अपनी जिंदगी केवल खुद के लिए जी है, लेकिन क्या मैं दूसरों के लिए कुछ कर सकता हूं?"

 

महाकुंभ के बाद, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी, भौतिक वस्त्र त्याग दिए, और साधु बनने का संकल्प लिया। अब वे "बाबा अभय सिंह" के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने अपना जीवन गरीबों की सेवा, आत्मज्ञान और समाज को आध्यात्मिक मार्ग दिखाने के लिए समर्पित कर दिया।

 

 

---

 

संदेश:

 

मुंबई IIT के एक सफल इंजीनियर से साधु बनने तक का सफर यह सिखाता है कि सच्चा सुख भौतिक चीजों में नहीं, बल्कि आत्मा की शांति में है। जीवन में सफलता का असली अर्थ दूसरों की सेवा और

आत्मज्ञान को समझने में है।

 

जरुर पढ़ें