भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ बहुत रहस्यमयी होती हैं। हर एक घटना के पीछे कोई न कोई कारण होता है, जो हमें जीवन की गहरी सीख देता है। जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब उनके माता-पिता, देवकी और वसुदेव, कंस की जेल में थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें तुरंत जेल से मुक्त नहीं कराया, बल्कि 14 साल बाद ही यह हुआ। इसका कारण कर्मों का फल था, जो उन्होंने अपने पिछले जन्म में किए थे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवकी और वसुदेव पिछले जन्म में रामायण काल में थे। तब देवकी कैकेयी और वसुदेव राजा दशरथ थे।
कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान मांगे थे:
इन वरदानों के कारण भगवान राम को 14 साल जंगल में बिताने पड़े। इस दौरान उनकी माता कौशल्या बहुत दुखी हुईं क्योंकि उन्हें अपने पुत्र से दूर रहना पड़ा।
हिंदू धर्म के अनुसार, जो कर्म हम करते हैं, उसका फल हमें किसी न किसी रूप में भोगना ही पड़ता है। कैकेयी ने राम को 14 साल तक वन में भेजा था, इसलिए अगले जन्म में उन्हें देवकी बनकर 14 साल तक जेल में रहना पड़ा। इसी तरह, दशरथ को भी अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ा और वे वसुदेव बने, जिन्हें भी जेल में रहना पड़ा।
भगवान श्रीकृष्ण यह दिखाना चाहते थे कि ईश्वर भी अपने बनाए नियमों का पालन करते हैं। उन्होंने 14 साल तक अपने माता-पिता को जेल में इसलिए रहने दिया ताकि वे अपने पिछले जन्म के कर्मों का फल भोग सकें।
इसके अलावा, श्रीकृष्ण ने खुद भी 14 साल तक माता यशोदा के साथ रहकर वही अनुभव किया, जो माता कौशल्या ने भगवान राम के वनवास के समय सहा था।
इस कहानी से हमें यह समझ में आता है कि हमारे कर्मों का फल हमें जरूर मिलता है, चाहे वह इस जन्म में मिले या अगले जन्म में। भगवान भी इस नियम से बंधे होते हैं और किसी को बिना कारण दुख या सुख नहीं देते। इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि हमें और हमारे परिवार को अच्छे फल मिलें।