"क्या आपने कभी सोचा है कि कोई अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद जब पृथ्वी पर लौटता है तो उसे किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है?"
"सुनीता विलियम्स, जो कई महीनों तक अंतरिक्ष में रहीं, जब वापस लौटीं तो उन्हें कुछ हैरान करने वाली समस्याओं से जूझना पड़ा।"
"स्पेस में जीरो ग्रैविटी होती है, जिससे शरीर को वजन महसूस नहीं होता। लेकिन जब वो वापस लौटीं, तो धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति ने उनके शरीर पर अचानक दबाव डाला। इससे उन्हें चलने में दिक्कत होने लगी।"
"स्पेस में महीनों तक रहने से उनकी हड्डियाँ और मांसपेशियाँ कमजोर हो गईं। वैज्ञानिक इसे 'मसल एट्रॉफी' और 'बोन लॉस' कहते हैं। इसलिए उन्हें फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ी।"
: "धरती पर लौटने के बाद उन्हें चक्कर आने लगे क्योंकि उनका वेस्टिबुलर सिस्टम, जो हमारे बैलेंस को कंट्रोल करता है, स्पेस में कमजोर हो चुका था।"
"अंतरिक्ष में शरीर का ब्लड फ्लो अलग तरीके से काम करता है। जब वह वापस आईं, तो उन्हें ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव और हार्ट रेट में बदलाव जैसी समस्याएँ हुईं।"
"इतने महीनों तक स्पेस में रहने के बाद वापस आकर मानसिक रूप से भी उन्हें काफी एडजस्ट करना पड़ा। स्पेस का शांत माहौल और पृथ्वी की हलचल—दोनों के बीच तालमेल बिठाना आसान नहीं था।"
"लेकिन वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की मदद से, और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से, सुनीता ने इन सभी चुनौतियों को पार किया और एक बार फिर इंस्पिरेशन बन गईं!"
"तो अगली बार जब आप किसी अंतरिक्ष यात्री के पृथ्वी पर लौटने की खबर सुनें, तो याद रखें—यह सिर्फ एक सफर का अंत नहीं, बल्कि एक नई चुनौती की शुरुआत होती है!"
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