"हर बच्चा है जीनियस: पैशन को फॉलो करो, कम्पैरिजन को नहीं"
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने एक बार कहा था:
“अगर आप एक मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की क्षमता के आधार पर आंकेंगे, तो वह पूरी जिंदगी खुद को मूर्ख समझेगी।”
यह उद्धरण समाज की उस सोच को उजागर करता है, जिसमें हर बच्चे को एक जैसे मानकों पर कसा जाता है। एक बच्चा जो विज्ञान में तेज़ है, उसे होशियार माना जाता है, जबकि जो संगीत या चित्रकला में रुचि रखता है, उसे अक्सर ‘कमज़ोर छात्र’ समझा जाता है।
लेकिन क्या वाकई ऐसा है? क्या सभी का एक ही क्षेत्र में उत्कृष्ट होना जरूरी है?
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है, और अगर वह अपने पैशन को फॉलो करे तो वह जीवन में किसी भी क्षेत्र में महान बन सकता है।
हमारे समाज में प्रतिभा का पैमाना केवल किताबी ज्ञान और परीक्षा में आए नंबरों से तय होता है। अगर बच्चा मैथ्स या साइंस में अच्छा है तो उसे “बुद्धिमान” कहा जाता है। वहीं जो स्पोर्ट्स, आर्ट, म्यूजिक या डांस में रुचि रखता है, उसे अक्सर यह सुनना पड़ता है:
ये सब बातें बच्चे की आत्मविश्वास की जड़ें हिला देती हैं। वह अपने पैशन को दबा देता है और एक ऐसी दौड़ में शामिल हो जाता है, जिसमें उसका मन नहीं लगता।
जब कोई व्यक्ति उस काम को करता है जिसे वह दिल से चाहता है, तो वह उसमें दिन-रात मेहनत करने को तैयार रहता है। उसे थकान नहीं होती, उल्टा वो उसमें रचनात्मकता लाता है। यही होती है “पैशन की शक्ति”।
पैशन का मतलब क्या है?
पैशन वह होता है जो काम आपको बिना थके, बिना ऊब के बार-बार करने को मजबूर करे। आपको उसमें आनंद आए, सुकून मिले, और आप उसमें कुछ नया करने को प्रेरित हों।
उदाहरण:
इन्हें किसी ने पढ़ाई छोड़ने को नहीं कहा, लेकिन इनका पैशन ही इन्हें महान बना गया।
आज के माता-पिता, शिक्षक और समाज अक्सर बच्चों की तुलना एक-दूसरे से करते हैं:
यह तुलना बच्चे के मन में हीनता का भाव भर देती है। वह खुद की खूबियों को देखने के बजाय दूसरों जैसा बनने की कोशिश करता है। नतीजा – कंफ्यूजन, स्ट्रेस, और कई बार डिप्रेशन।
माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे की रुचियों को पहचानें, उन्हें समझें और सहयोग करें। हर बच्चा यूनिक है, और उसकी अपनी पहचान है।
अगर कोई बच्चा किसी एक विषय में असफल हो गया, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह जिंदगी में फेल है। असल में वह उस क्षेत्र में फिट नहीं था। उसकी प्रतिभा कहीं और है।
हर असफलता एक सीख है, एक दिशा है जो बताती है कि तुम्हारा रास्ता कुछ और है।
थॉमस एडीसन ने हजारों बार असफल होकर बल्ब बनाया। अगर वह पहली हार में रुक जाते, तो आज दुनिया रोशनी से महरूम होती।
हमारी शिक्षा प्रणाली अभी भी रट्टा मारने और परीक्षा पास करने पर केंद्रित है। बहुत कम स्कूल हैं जो बच्चों को उनका पैशन खोजने का अवसर देते हैं।
जरूरी सुधार:
क्या आपने कभी ऐसे लोगों को देखा है जो बड़ी कंपनी में अच्छी नौकरी करने के बावजूद खुश नहीं हैं? क्योंकि वे वह काम कर रहे हैं जो उन्हें पसंद नहीं।
इसके उलट एक म्यूजिक टीचर जो छोटे बच्चों को गिटार सिखाता है, लेकिन उसकी आंखों में खुशी और आत्मसंतोष होता है। क्यों? क्योंकि वह अपना पैशन जी रहा है।
हर इंसान की प्राथमिकता होनी चाहिए – "खुशी", न कि "कम्पैरिजन"।
1. आलिया भट्ट
स्कूल में बहुत अच्छी नहीं थीं, लेकिन एक्टिंग में कमाल किया। उनका पैशन था – अभिनय। आज वे देश की टॉप अभिनेत्रियों में से हैं।
2. विराट कोहली
स्कूल की पढ़ाई में सामान्य थे, लेकिन क्रिकेट में उनका जूनून उन्हें विश्व का बेस्ट बल्लेबाज़ बना गया।
3. रणबीर कपूर
फिल्मों के लिए उनका पैशन उन्हें स्क्रीन पर जीवंत करता है।
4. बी. वी. श्रीनिवास (IAS ऑफिसर)
पहले आर्ट्स में थे, लेकिन समाज सेवा में रुचि थी। इसलिए UPSC की तैयारी की और सफलता पाई।
इन सभी की कहानियों में एक बात समान है – इन्होंने अपनी रुचियों की सुनी, समाज के तानों की नहीं।
हर इंसान को खुद से यह सवाल पूछना चाहिए:
जवाब अगर “ना” है, तो समय है बदलाव का।
माता-पिता से अपेक्षित बातें:
शिक्षकों से अपेक्षित बातें:
हर बच्चा एक मछली है जिसे पेड़ पर चढ़ने को कहोगे तो वह असफल लगेगा। लेकिन अगर उसे उसका अपना क्षेत्र (पानी) मिले, तो वह सबसे तेज़ और खूबसूरत तरीके से तैर सकता है।
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि ये नहीं कि आप क्या बने, बल्कि ये है कि आप कैसे बने। अगर आप अपने पैशन के रास्ते पर चलकर सफल हुए हैं, तो वह सफलता सच्ची है।
"तुम किसी और की कॉपी बनकर दुनिया में नहीं आए हो, तुम अपनी पहचान बनाने आए हो।"
इसलिए पढ़ाई जरूरी है, लेकिन सबके लिए एक जैसी नहीं। जिस काम में तुम्हारा मन लगता है, उसे ही अपना प्रोफेशन बनाओ। वही तुम्हें दुनिया का बेस्ट बनाएगा।
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