नालासोपारा पुलिस स्टेशन में उस दिन सब इंस्पेक्टर तेजश्री शिंदे नॉर्मली अपना काम कर रहीं थी ,की तभी वहां 4 लड़कियों ने दस्तक दी,इंस्पेक्टर शिंदे से उनकी कंप्लेन लिखने को कहा
मैडम शिंदे ने जैसे ही शिकायत दर्ज करने के लिए अपना पेन उठाया, माहौल सामान्य था। लेकिन जैसे-जैसे उन चार लड़कियों ने अपनी आपबीती सुनानी शुरू की, वैसे-वैसे पूरे थाने का वातावरण बदलने लगा। हर शब्द जैसे किसी चोट की तरह दिल पर लग रहा था। थाने में सन्नाटा पसर गया — ऐसा सन्नाटा जिसे सिर्फ़ दर्द, डर और गुस्सा पैदा कर सकता है। मैडम शिंदे का गला सूख गया, उनके हाथ काँपने लगे और पेन उनके हाथ से फिसल कर ज़मीन पर गिर पड़ा। एक पल को ऐसा लगा मानो वक़्त ठहर गया हो, और वहां मौजूद हर शख्स की रूह तक काँप उठी।
दोस्तों ये चारों लड़कियां, अपने ही बाप के कंप्लेन करने के लिए आई थी क्योंकि इनका बाप पिछले 7,8 साल से इन लड़कियों का रेप कर रहा था उसकी सबसे बड़ी बेटी जोकि 23 साल की है उन्होने ने बताए कि जब वो मात्र 13 साल की थी, तबसे उसके बाप ने उसके साथ ये हैवानियत करना शुरू कर दिया था, इसके वजह से उसकी इतनी कम उम्र में 4 बार abortion हो चुके है, यहां तक कि पिछले कुछ दिनों से उसने अपनी दूसरी बेटियों का भी रेप करना शुरू कर दिया था।
जिनकी उम्र मात्र 12 और 16 साल थी।
ये नीच आदमी अपनी मर्जी से रोज अपनी किसी बेटी के साथ ही ऐसी giri हुई हरकत करता था। सोचने वाली बात ये है कि एक 23 साल के लड़की को 4 बार abortion कराना पड़ा ,अपने ही बाप के वजह से ।दोस्तों ये ह्यूमन हिस्ट्री का बहुत ही गिरा हुआ केस है। क्या आपको लगता है कि उन बच्चियों को न्याय मिलना चाहिए?
अगर आप चाह रहे है के अपने बच्चियों के साथ ऐसा दुष्कर्म न हो तो निचे दिए गए कुछ बातो को जरूर ध्यान में रखे।
1. गुड टच और बैड टच के बारे में समझाएं
बहुत छोटी उम्र से ही बच्चों को यह सिखाना ज़रूरी है कि कौन सा स्पर्श सही है और कौन सा गलत। सरल भाषा में, कहानियों या उदाहरणों के माध्यम से यह बताया जा सकता है कि अगर किसी का स्पर्श असहज लगे, तो वे तुरंत मना करें और किसी भरोसेमंद व्यक्ति को बताएं।
2. खुला संवाद बनाए रखें
बच्चों को ऐसा माहौल दें कि वे आपसे हर बात बिना डरे कह सकें। डर या शर्म के कारण कई बच्चे अपनी बात नहीं कह पाते। उन्हें यह यकीन दिलाएं कि आप हमेशा उनके साथ हैं और उनकी बातों को गंभीरता से लेंगे।
3. ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान दें
आजकल बच्चे इंटरनेट पर समय बिताते हैं, जिससे वे कई बार गलत लोगों के संपर्क में आ सकते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखें और उन्हें यह सिखाएं कि सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दूरी बनाए रखें।
4. शारीरिक सीमाओं की इज़्ज़त करना सिखाएं
बच्चों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि उनका शरीर उनका अपना है, और कोई भी व्यक्ति बिना उनकी अनुमति के उन्हें छूने का अधिकार नहीं रखता — चाहे वह कोई रिश्तेदार ही क्यों न हो।
5. स्कूलों और समुदायों में जागरूकता अभियान चलाएं
शिक्षण संस्थानों और सामाजिक संगठनों को चाहिए कि वे बच्चों और उनके अभिभावकों को यौन शोषण के खतरों और उससे बचाव के तरीकों के बारे में नियमित रूप से जानकारी दें।
6. संकेतों को पहचानें
अगर बच्चा अचानक चुपचाप रहने लगे, डरने लगे, किसी व्यक्ति से मिलने से बचे, या व्यवहार में बदलाव दिखे — तो ये संकेत हो सकते हैं कि वह किसी परेशानी से जूझ रहा है। ऐसे समय पर संवेदनशीलता से बात करें और जरूरत हो तो पेशेवर मदद लें।
7. कानूनी जानकारी दें
बच्चों को उनकी कानूनी हक़ों के बारे में बताएं। साथ ही, माता-पिता को भी यह जानकारी होनी चाहिए कि यदि कोई घटना होती है तो वह कैसे और कहाँ शिकायत दर्ज कर सकते हैं (जैसे कि POCSO Act के तहत कार्रवाई)।
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